अमृतसर के गांव सुल्तानविंड के बाहर ग्रामीणों ने बीजेपी का बहिष्कार करने के लिए फ्लेक्स बोर्ड लगाए

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Amritsar Punjab se Narinder Sethi ki report

लोकसभा चुनाव के दौरान कोई भी भाजपा नेता सुल्तानविंड गांव में वोट मांगने न आए-ग्रामीण

किसान आंदोलन में शहीद हुए शुभकरण सिंह की तस्वीर लगाकर लगाया गया फ्लेक्स बोर्ड हमारी गलती है

पंजाब के शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान और मजदूर अपनी जायज मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हरियाणा प्रशासन और हरियाणा पुलिस ने उन किसानों पर अत्याचार भी किया और उस अत्याचार से एक युवा किसान नेता शुभकरण सिंह भी शहीद हो गए . और उस प्रदर्शन के दौरान हरियाणा प्रशासन द्वारा कई किसानों के ट्रैक्टर और कई गाड़ियों को भी तोड़ दिया गया था. इसे लेकर किसानों में अब भी गुस्सा है और किसान अभी भी अपनी जायज मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं. वहीं अब लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ गया है और हर राजनीतिक पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार के लिए वोट मांग रही है और गांवों में किसान बीजेपी का जमकर विरोध कर रहे हैं, जिसके चलते अमृतसर के गांव सुल्तानविंड के बाहर गांव के किसानों और गांव के लोगों ने बीजेपी के बहिष्कार के पोस्टर लगाए हैं और बड़े-बड़े फ्लेक्स बोर्ड भी लगाए गए हैं. इस बीच किसान नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जब किसान केंद्र में जाएंगे केंद्र उनकी मांगों को नहीं सुनता और उन पर अत्याचार करता है। अब जब केंद्र में बैठी बीजेपी गांवों में अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने आएगी तो अब हम उनका विरोध करेंगे, जिसके मुताबिक उन्होंने अपने गांवों के बाहर बीजेपी का बहिष्कार करने के लिए फ्लेक्स बोर्ड लगा दिए हैं और वो भूलकर भी ऐसा कहते हैं बीजेपी को अपने उम्मीदवार के लिए वोट मांगने के लिए सुल्तानविंड गांव में नहीं आना चाहिए. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने किसानों को सड़कों पर ला दिया है और युवा नेता शुभकरण सिंह को भी शहीद कर दिया है. जिसको लेकर किसानों में विरोध है, उन्होंने बीजेपी का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया है, जिसकी शुरुआत अमृतसर के गांव सुल्तान विंड से की गई है और जल्द ही बीजेपी के बहिष्कार का यही तरीका अलग-अलग गांवों में फैल जाएगा एक बोर्ड लगाना.

बाइट : रुपिंदरदीप सिंह (निवासी सुल्तानविंड)

बाइट: गुरभेद सिंह सोनू (सुल्तानविंड निवासी एवं किसान नेता)

गौरतलब है कि किसान पहले भी एक बार कृषि सुधार बिलों का विरोध कर चुके हैं और उन बिलों को खारिज करवा चुके हैं और उसके बाद किसानों की बाकी मांगें पूरी न होने के बावजूद किसान मजदूर संघर्ष समिति और संयुक्त किसान ने उनकी मांगों को पूरा कराया था. मोर्चा गैर राजनीतिक. आंदोलन फिर से दिल्ली की ओर शुरू कर दिया गया और उन्हें शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर ही रोक दिया गया, जिससे किसानों में विरोध है और उसी विरोध के चलते किसान अब बीजेपी का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. अब देखने वाली बात होगी कि लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में किसानों का विरोध बीजेपी को कितना नुकसान पहुंचाएगा.

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