न्यूज़ रिपोर्ट ….
, गरियाबंद। उदंती सीता नदी अभयारण्य प्रशासन अब अपने 1842 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी सैटेलाइट के जरिए करने जा रहा है. क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर गूगल अर्थ इंजन की मदद से रिमोट सेंसिंग का संचालन किया जाएगा. गूगल अर्थ इंजन में मौजूद रिकार्ड को अपने पोर्टल में बड़ी आसानी से और बेहतर क्वालिटी के साथ देखने, सुरक्षित किया जायेगा. देश में यह पहली बार है कि किसी अभयारण्य की मॉनिटरिंग सैटेलाइट के जरिए की जाएगी.
उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया की सुरक्षा गत कारणों के कारण यह डेटा पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध नहीं होगा. लेकिन अभ्यारण्य इलाके में जारी प्रत्येक वानिकी कार्य का डेटा ड्रोन मेपिंग पोर्टल के जरिए कोई भी व्यक्ति आसानी से देख सकेगा. आईआईआरएस (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसर) के पूर्व छात्रों द्वारा बनाई गई एक संस्थान के साथ मिल कर यह पोर्टल तयार किया गया है. उपनिदेशक जैन ने दावा किया है कि यह देश की पहली संस्थान है जिसकी मॉनिटरिंग सेटलाइट पोर्टल से होगी. इसकी रूपरेखा 2022 में बनाई गई थी. तकनीकी कारणों से इसे पिछले 7 माह में नए सिरे से तैयार किया गया है इसकी लागत 2.85 लाख आया. उन्होंने बताया कि फिलहाल विभाग इसकी मदद लेना शुरू कर दिया है. आने वाले 10 दिनो में इसे आम पब्लिक के लिए सार्वजनिक कर दिया जाएगा.
बाघ कारीडोर की निगरानी भी इसी से
400 किलोमीटर लम्बे इन्द्रावती-सीतानदी-उदंती-सुनाबेडा टाइगर कॉरिडोर में वर्ष 2010-2023 तक वन एवं जल आवरण में आये परिवर्तन को इस पोर्टल से देखा जा सकेगा.कॉरिडोर में डिस्टर्बेस की वजह से महाराष्ट्र के अतिरिक्त बाघों (जो नयी टेरिटरी की खोज में विचरण करते है) की छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आवाजाही लगभग बंद है, ऐसे में टाइगर कॉरिडोर में आये नकारात्मक वन एवं जल आवरण बदलाव वाले क्षेत्रो को चिन्हांकित कर अवैध वृक्ष कटाई विरोधी अभियान एवं शिकारियों के विरुद्ध एन्टी पोचिंग ऑपरेशन चलाये जा सकेंगे.