दुकानों पर नाम लिखने का योगी जी का आदेश देश की सामाजिक संरचना के अनुरूप – हिन्दू महासभा

#न्यूज़ रिपोर्ट ….

संविधान की हत्यारी कांग्रेस को संविधान पर हमले की बात करने का नैतिक अधिकार नहीं – बी एन तिवारी

 नई दिल्ली, अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा के मार्ग के दुकानदारों को अपनी दुकानों, रेहड़ी, और ठेलों पर अपना नाम लिखने को अनिवार्य बनाने का आदेश का स्वागत करते आदेश को देश की सामाजिक संरचना के अनुरूप बताया। उन्होंने  आदेश का विरोध करने वाले तत्वों को संविधान विरोधी घोषित किया। उन्होंने कहा कि योगी जी का आदेश कांवड़ियों को थूक जेहाद और हलाल मार्का खाद्य वस्तुओं से बचाने और श्रद्धालुओं की पवित्रता की रक्षा में उठाया गया एक क्रांतिकारी कदम है।  योगी आदित्यनाथ का यह आदेश हिन्दू महासभा के धर्मयुद्ध की नीतियों के अनुरूप है, जिसका हिन्दू महासभा स्वागत करती है और इस नीति को राष्ट्रीय स्तर पर हमेशा के लिए स्थाई रूप से लागू करने की मांग करती है। 
हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बी एन तिवारी ने आज जारी बयान में यह जानकारी देते हुए कहा कि विपक्षी दल और एन डी ए के कुछ घटक दल योगी जी के आदेश की आलोचना कर आदेश को धर्म और जाति के चश्मे से देखने का प्रयास कर रहे हैं। यह उचित नहीं है। 
जारी बयान में हिन्दू महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर गीता रानी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा योगी जी के आदेश को संविधान पर हमला बताने पर कड़ा प्रतिरोध व्यक्त करते हुए कहा कि संविधान के हत्यारों को संविधान पर हमले की बात करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के आपातकाल लगाने के दौर को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। जो स्वयं संविधान की हत्या के दोषी हैं, उनके मुख से संविधान पर हमले की बात करना पूरी तरह से अनुचित है।
 हिन्दू महासभा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा ने एन डी ए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल द्वारा योगी जी के आदेश को जाति और धर्म से जोड़ने पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि योगी जी ने आदेश में दुकानों पर धर्म या जाति लिखने का नहीं वरन दुकानदार को केवल अपना नाम लिखने का आदेश का आदेश दिया है। दुकानदार के नाम को जाति और धर्म के चश्मे से देखना भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

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