बता दे ये दलित समाज से आते है, और इन्होंने अपने जीवन में बड़ा संघर्ष किया है, अपनी मेहनत और सूझबूझ से आज ये एक सफल बिजनेसमैन है, ये आम आदमी पार्टी से विधायक भी रहे है, लेकिन अब इन्होंने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
‘दलित प्रतिनिधित्व में पार्टी पीछे’
राज कुमार आनंद शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी से जुड़े थे। दिल्ली विधानसभा 2020 के चुनाव में जीतने के बाद पटेल नगर से विधायक बने। पहली बार दिल्ली सरकार के मंत्री ने इस तरह से इस्तीफा दिया है। राज कुमार आनंद ने कहा, बाबा साहब आंबेडकर ने ‘पे बैक टु सोसायटी’ का मंत्र दिया था, उसी वजह से मैं व्यापारी होते हुए भी एनजीओ में आया, एमएलए बना, जनप्रतिनिधि बना, मंत्री बना कि लोगों की सेवा होगी। इसी उद्देश्य से मैं आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ा, जो बाबा साहब के आदर्शों पर चलने की बात करती है। सीएम आंबेडकर का फोटो हर प्रेस कॉन्फ्रेंस, हर दफ्तर में लगाते हैं। मगर रिजर्वेशन तो संवैधानिक मजबूरी है, जब बात दलितों के प्रतिनिधित्व की आत है, तो पार्टी पीछे हो जाती है। उन्होंने कहा कि आप के राज्यसभा सांसदों में से कोई भी दलित, पिछड़ा या महिला नहीं है। पिछले दिनों विधानसभा ने बहुत सारे फेलोज की भर्ती की, जिसमें दो-दो लाख रुपये सैलरी थी, उसमें दलितों को कोई भी जगह नहीं दी गई। मैं एससी एसटी मंत्री, समाज कल्याण का भी मंत्री हूं, अगर मेरे होते हुए ये काम न हों, तो सरकार में रहने का औचित्य नहीं।