Nitish Kumar: बिहार के असली ‘KING’ के सामने सब फेल, नीतीश कुमार हार कर भी कैसे जीतते हैं? क्या है इनके बार-बार ‘बाजीगर…’ बनने का राज?

न्यूज़ रिपोर्ट …..

Nitish Kumar as a Baazigar: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार (23 जुलाई) को मोदी सरकार (Modi government) के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट-2024 (Budget 2024) पेश किया। इस बजट में केंद्र में मोदी सरकार को समर्थन देने का ‘मूल्य’ पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नीतीश कुमार को चुकाया है। बजट में मोदी सरकार ने बिहार के लिए अपना खजाना खोल दिया है। बजट में बिहार (Bihar) के लिए करीब 60 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। बिहार में 26 हजार करोड़ से तीन एक्सप्रेसवे का निर्माण किया जाएगा। वहीं काशी की तर्ज पर बोधगया और विष्णुपद कॉरिडोर बनेगा। आर्थिक रूप से पिछड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली उत्पादन के लिए प्लांट लगाए जाएंगे।
बजट में बिहार के लिए खजाना खुलने पर एक बार फिर से बिहार सीएम नीतीश कुमार पूरे देश में छा गए हैं। हर मीडिया चैनलों और अखबारों में बजट से ज्यादा सिर्फ नीतीश कुमार सुर्खियों में है। बजट के बाद एक बार फिर साबित हो गया कि बिहार के असली किंग (KING) अभी भी नीतीश कुमार ही हैं। हालांकि लोग और राजनीतिक पंडित अब उन्हें राज्य के साथ-साथ अब केंद्र में भी किंग के रूप में देख रहे हैं। आम लोगों से लेकर राजनीतिक पंडितों के बीच यही चर्चा हो रही है कि नीतीश कुमार के बार-बार ‘बाजीगर’ बनने का आखिर राज क्या है।

सियासत के धुरंधर नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो अगर एक कदम पीछे जाते हैं तो कुछ समय बाद ही चार कदम आगे बढ़कर अपनी जोरदार मौजूदगी का अहसास विपक्ष के साथ-साथ घटक दल को भी कराते हैं। नीतीश की यही खूबसूरती बिहार में उन्हें अपराजेय बनाई हुई है। स्पेशल स्टेटस पर नीतीश को घेरने वाले जान चुके हैं कि वो एक बार फिर केंद्र से अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे हैं। इसी का नतीजा है कि बिहार को केंद्र से 58 हजार 900 करोड़ की सौगात मिली।

कैबिनेट बर्थ में भी जेडीयू को एक केंद्रीय मंत्रालय और दूसरा राज्य मंत्रालय मिला था। बिहार में आरजेडी और कांग्रेस इसका मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन नीतीश कुमार की असली नजर बिहार के लिए विशेष पैकेज मांगने के पर था। नीतीश दो मंत्री पद मिलने के बाद चुप रहे, लेकिन अंदर ही अंदर बिहार के लिए जोरदार पैकेज की मांग में जुटे रहे। आलम ये रहा कि बिहार के लिए केंद्र ने 58 हजार 900 करोड़ का प्रावधान कर दिया और नीतीश इसे अगला चुनाव जीतने के लिए अपना प्रमुख अस्त्र मानकर बखूबी इस्तेमाल करेंगे।

केंद्र के बजट के बाद नीतीश बमबम
केंद्र ने जैसे बजट की घोषणा की कांग्रेस के तेज तर्रार और पढ़े लिखे नेता शकील अहमद खां ने झुनझुना अपनी जेब में रख लिया। कांग्रेस और आरजेडी कहने को झुनझुना बजाते रहे, लेकिन वो समझ चुके थे कि नीतीश का असर केंद्र पर भरपूर रहा है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने 58 हजार 900 करोड़ का प्रावधान कर नीतीश को आने वाले चुनाव के लिए बड़ा अस्त्र प्रदान कर दिया है।इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली पर खर्च का प्रावधान बिहार की दिशा और दशा बदलने के लिए किया जा रहा है। बिहार का मजाक एक्सप्रेस हाईवे नहीं होने की वजह से उड़ाया जाता था। केंद्र ने तीन एक्सप्रेस हाईवे की घोषणा कर बिहार को बड़ी सौगात दे दी। इसके लिए 26 हजार करोड़ आवंटित किए गए हैं। बक्सर से भागलपुर, पटना से पूर्णिया और बोधगया, राजगीर वैशाली और दरभंगा में सड़कों के काम में तेजी लाई जाएगी। बीजेपी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खूब खर्च करने के मूड में है. तभी बिहार में निवेश की संभावना बढ़ सकती है।

नालंदा को विकसित किया जाएगा
वहीं टूरिज्म को डेवलप करने के लिए भी नालंदा को विकसित करने की बात कही गई हैं। गया के विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर को काशी विश्वनाथ की तर्ज पर विकसित किए जाने की योजना है। वहीं हर साल बाढ़ झेल रहे बिहार के लिए 11 हजार 500 करोड़ के प्रावधान ने उत्तर बिहार के लोगों के लिए जख्म पर मरहम लगाने का काम किया है। बिहार के पिरपैंती में 24 हजार मेगावाट के पावर प्लांट लिए 21 हजार करोड़ का प्रावधान रखा गया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार में बाढ़ की समस्या से निजात पाने के अलावा बिहार की ऐतिहासिक विरासत और विनिवेश को प्रमोट करने के लिए सड़कें और पर्यटन केंद्र डेवलप करने पर भरपूर जोर दिया गया है।विपक्ष की राजनीति की धार कुंद पड़ सकेगी?
बिहार में मेडिकल कॉलेज,12 शहरों में आईटी पार्क, सड़कों का जाल, मंदिरों को काशी कॉरिडोर की शक्ल देने का प्रावधान बिहार के लिए जोरदार सौगात है। 59 हजार 800 करोड़ का प्रावधान कर केंद्र सरकार ने नीतीश के राजनीतिक रसूख को काफी बढ़ा दिया है। यही वजह है कि कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा हों या नीतीश के करीबी मंत्री विजय चौधरी, सभी ने बिहार को बजट में मिली राशि को खूब सराहा है। नीतीश खुद कह रहे हैं कि स्पेशल स्टेटस में कानूनी अड़चन था इसलिए पैकेज मिलने की शुरुआत बढ़िया कोशिश है। नीतीश दोनों रास्ते खोल कर चल रहे हैं। यही उनकी राजनीति का जोरदार तरीका है जो उन्हें बार-बार गद्दी पर बने रहने में सहायक साबित हुआ है।

बिहार में अगले साल होगा विधानसभा चुनाव
नीतीश और उनके मंत्री खुश है और खुशी की वजह साल 2025 में होने वाला विधानसभा चुनाव है। नीतीश जानते थे कि फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट के बाद राज्य के लिए स्पेशल स्टेटस संभव नहीं था। लिहाजा 58 हजार 900 करोड़ का पैकेज मिलने से नीतीश जनता के बीच जाकर उसे जोरदार प्रचारित करेंगे ये तय है. विपक्ष लाख नीतीश को इस्तीफा देने की सलाह दे, लेकिन ये बजट बिहार के नाम रहा है, इससे कौन इनकार कर सकता है।

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