नहीं थम रहा बिजली चोरी का सिलसिला, विजिलेंस टीम बना हाथी का दांत

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विद्युत विभाग के लाख कोशिशों के बावजूद कटिया कनेक्शन से बिजली चोरी का सिलसिला नहीं थम रहा है. अवैध ढंग से बिजली का उपभोग करने के कारण कनेक्शनधारियों को जहां लो वोल्टेज का सामना करना पड़ रहा है. वहीं विभागीय मिलीभगत से विद्युत चोरी को बढ़ावा मिल रहा है. क्षेत्र में हो रही बिजली चोरी के कृत्यों से लोग विभाग से अवगत कराते रहते हैं, लेकिन यहां विभाग की मिली भगत से बिना कनेक्शन के ही बिजली का उपयोग किया जा रहा है.

वहीं न तो गांवों में मीटर रीडिंग वाले आते हैं, जिसकी वजह से ग्रामीणों को बिजली बकाया बिल जमा करने में बहुत दिक्कत होती है. वहीं ग्रामीण चौराहों पर कमर्शियल मकानों में घरेलू कनेक्शन का उपयोग होता हैं. जिसके चलते विभाग को राजस्व का भारी क्षति उठाना पड़ता है. हाइडिल के अफसरों व कर्मचारियों से इसकी शिकायत करने के बावजूद इसका संज्ञान न लिया जाना निश्चित ही विभागीय प्रश्रय को इंगित करता है.

जनपद के कसया स्थित भुजौली विद्युत उपकेंद्र के कुछ लोग बिना नाम बताए कहा कि बिना नियमित कनेक्शन लिए अवैध ढंग से कटिया लगाकर वर्षों से गांवों में बिजली की चोरी की जा रही है. इसकी शिकायत जेई व हाइडिल कर्मियों से करने के बाद भी कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. आरोप लगाया कि विद्युत उपकेंद्र के रेगुलर लाइनमैन, अनुबंध व निजी लाइनमैन कटिया कनेक्शन वालों से हर महीने रकम की वसूली करते हैं और बदले में विद्युत चोरी के लिए प्रश्रय देते हैं.

नाम न बताने की शर्त पर ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र के गांवों में कटिया कनेक्शन से मोटर, फ्रीज, कुलर, पंखा, टीवी का उपयोग किया जा रहा है. विभागीय कर्मियों पर चोरी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. अहिरौली बाजार सहित आधा दर्जन गांवों में बड़े पैमाने पर विद्युत चोरी की शिकायत कर इसकी जांच-पड़ताल कर कार्रवाई करने और नियमित उपभोक्ताओं को बेहतर ढंग से आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने की मांग की.

वहीं विद्युत चोरी को रोकने के लिए विभाग द्वारा संचालित बिजली विजिलेंस थाना और विजलेंस टीम बेमतलब साबित हो रहा वह केवल आफिस में बैठें कागजी आंकड़ों में कार्रवाई करते हैं और कुछ फोटो विभागीय ट्वीटर हेंडल पर अपलोड़ कर अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त हैं. तो वहीं विद्युत विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी केवल शिकायत के बाद कुछ चुनिंदा जगहों पर छापेमारी कार्रवाई कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं. अब देखना यह है कि विभाग विद्युत चोरी पर अंकुश लगाने में सफल होता या इसी तरह धड़ल्ले से विद्युत चोरी होती रहती और विभाग को राजस्व का चूना लगता रहता है.

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