हिन्दू महासभा का आंदोलन रंग लाया

इहबास परिसर में स्थापित होगा भगवान बालाजी मंदिर एवं अध्यात्म केंद्र

न्यूज़ रिपोर्ट …..

 नई दिल्ली, अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में चलाया गया आंदोलन रंग लाया। हिन्दू महासभा के ज्ञापन पर इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंस ( इहबास )  दिलशाद गार्डन दिल्ली परिसर में भगवान बालाजी मंदिर एवं अध्यात्म केंद्र स्थापित करने की मांग की स्वीकार कर लिया गया है।
 हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बी एन तिवारी ने आज जारी बयान में यह जानकारी देते हुए बताया कि हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र कुमार द्विवेदी के निर्देश पर राष्ट्रीय प्रचारक यज्ञ नारायण ने बीती 28 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्रीय ग्रामीण एवम विकास मंत्रालय और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंस के चीफ मेडिकल ऑफिसर को ज्ञापन भेजकर इहबास परिसर में भगवान बालाजी मंदिर एवं अध्यात्म केंद्र स्थापित करने की मांग की थीl

  राष्ट्रीय प्रचारक यज्ञ नारायण ने जारी बयान में कहा कि हिन्दू महासभा ने अपने ज्ञापन में तर्क दिया था कि इहबास में मानसिक रोगियों की चिकित्सा की जाती है। भगवान बालाजी मंदिर और अध्यात्म केंद्र स्थापित होने से वहां जाने पर मनोरोगियों को धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण मिलेगा और रोगी अपने मानसिक रोग से अपेक्षाकृत कम समय में अपने मानसिक रोग से मुक्ति प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं।
जारी बयान के अनुसार हिन्दू महासभा ने ज्ञापन में मंदिर एवं अध्यात्म केंद्र हेतु इहबास से भूमि आबंटित करने और हिन्दू महासभा द्वारा निर्माण एवं संचालन करने का प्रस्ताव रखा था। हिन्दू महासभा के ज्ञापन पर लिए गए निर्णय की जानकारी प्राप्त करने के लिए जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत आर टी आई लगाई गई। आर टी आई से प्राप्त जानकारी में इहबास के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर ( डॉक्टर ) दीपक कुमार ने कहा कि *"इहबास परिसर में एक मंदिर पहले से है, फिर भी हिन्दू महासभा के ज्ञापन के प्रस्ताव को संज्ञान में ले लिया गया है और यह इहबास के अगले फेज के विकास कार्य में विचारणीय होगा। "*
    यज्ञ नारायण ने कहा कि देश के समस्त मनोरोग चिकित्सालयों में भगवान बालाजी मंदिर एवं अध्यात्म केंद्र स्थापित कर मनोरोगियों का अंग्रेजी चिकित्सा विज्ञान के साथ आध्यात्मिक रूप से भी चिकित्सा प्रणाली को विकसित किया जाना चाहिए।

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